फिल्म जगत का इतिहास जानिए भारतीय सिनेमा की शुरुआत कब हुई थी


फिल्म जगत


फिल्म जगत का इतिहास:

 

पहले के जमाने में किसी एक जगह पर रामायण नुक्कड़ करके दर्शकों का मन बहलाया जाता था, लेकिन फ्रांस के लुमियर ब्रदर्स ने सन 1896 में भारत की पहली साइलेंट शॉर्ट फिल्म बनाई कहते हैं। उस वक्त से इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में अपनी दस्तक दे दी थी। लेकिन भारत में विधिवत फिल्म मेकिंग की शुरुआत हुई सन 1913 से जी हां सन 1913 में दादा साहेब फाल्के ने भारत की सबसे पहली लंबी फिल्म या यू कहे पूरी फिल्म रिलीज की जिसका नाम था राजा हरिश्चंद्र यह फिल्म भी हिंदी साइलेंट और ब्लैक एंड वाइट ही थी लेकिन दादा साहेब फाल्के की राजा हरिश्चंद्र से भारतीय सिनेमा की शुरुआत हो चुकी थी। मजे की बात तो यह है कि इस फिल्म के प्रोड्यूसर डायरेक्टर और कैमरामैन दादा साहेब फाल्के ही थे और मेकअप से लेकर एडिटिंग का काम भी उन्होंने ही किया था।  


भारतीय सिनेमा की शुरुआत: 


 1913 से लेकर 1918 के बीच दादा साहेब फाल्के ने कुल मिलाकर 23 फिल्मों का काफिला खड़ा कर दिया, भारतीय सिनेमा की इतनी निष्ठा से शुरुआत करने के कारण ही आज दादासाहेब फालके को इंडियन फिल्म जगत का फादर कहा जाता है। हालांकि उस समय इतनी फिर भी नहीं बन पाती थी जितनी बननी चाहिए, लेकिन फिर भी नई फिल्मी दुनिया ने दर्शकों के बीच में अपना स्थान बना लिया था। कुछ इसी अरसे के दौरान वेस्ट में हॉलीवुड की फिल्म इंड्रस्ट्री भी आगे बढ़ रही थी तब भारतीय फिल्में ज्यादातर ऐतिहासिक या पौराणिक हुआ करती थी तो हॉलीवुड की फिल्में एक्शन फिल्म हुआ करती थी भारतीय साइलेंट फिल्मों का दौर तब खत्म हुआ


1931 के दशक में:


 1931 में आर्देशिर ईरानी ने पहेली बोलने वाली फिल्म बनाई नाम था (आलम आरा) पहली कलर फिर भी आर्देशिर ईरानी ने ही बनाई थी 1937 से बनी इस फिल्म का नाम है (किशन कन्हैया)1913 से लेकर 1931-32 तक ना मुंबई में फिल्में बनी बल्कि 1917 में पहली बंगाली प्रोडक्शन की फिल्म (नल दमयंती) रिलीज हुई उसके बाद 1919 में साउथ इंडिया की (कीचाला वदम) फीचर फिल्म रिलीज हुई और 1932 में पहली मराठी फिल्म रिलीज हुई जो थी (अयोध्येचाराजा) कुछ कुछ आधुनिक फिल्मों का निर्माण 1949 में होना सुरु हुआ जब रोजमर्रा की जीवन शैली और समाज की फिल्मे बनने लगी।  


50 से 70 के दशक में:


सन 1950 से लेकर 1960 का यह दौर भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का स्वर्णिम दौर कहा जाता है। इस दौर ने भारतीय सिनेमा को कभी ना बुलाने वाले अदाकारा दिए जिन्हें आज हम भी जानते हैं जय गुरु दत्त, मीना कुमारी, राज कपूर दिलीप, कुमार मधुबाला, नरगिस और देवानंद लेकिन 70 का दशक आते-आते हॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड से कुछ कदम ज्यादा आगे बढ़ चुकी थी। लेकिन भारतीय फिल्म इंडस्ट्री उसके स्टार्स उसके ऑडियंस एक अपने ही अंदाज में प्रगति कर रहे थे 70 का दशक वह दौर था जब इंडियन फिल्म इंडस्ट्री को एक नाम मिला जिसे बॉम्बे  और हॉलीवुड को मिक्स करके बॉलीवुड कहा जाने लगा। 


और बॉलीवुड को कई लोग हिंदी बुड भी कहते हैं 70 के दशक में आप तौर पर इंडियन सिनेमा को मसाला मूवी के तौर पर देखा जाने लगा इस दौर में प्रॉपर ड्रामाटिक फिल्में बनने लगी और एक्शन फिल्मों का दौर भी इसी समय शुरू हुआ 70 के दशक में बॉलीवुड के सबसे पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी और बच्चन जैसे कलाकार उभर कर आये। 15 अगस्त 1975 में रिलीज हुई शोले फिल्म सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुई जिसमें रातो रात अमिताभ बच्चन को सुपरस्टार बना दिया। 


80 के दशक में:


 80 के दशक हम कैसे भूल सकते हैं जब अनिल कपूर, संजय दत्त, सनी देओल, नसरुद्दीन शाह, मिथुन, अमरीश पुरी, जैकी श्रॉफ, अनुपम खेर और ओमपुरी जैसे कलाकार फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव थे। इस दौर में भी बहुत एक्शन ड्रामा अथवा कॉमेडी जैसी फिल्मे रिलीज हुई जहा इन कलाकारों में बहुत मेहनत और लगन से एक्टिंग को एक बड़ा नाम दिया 80 के दसक में काफी अच्छी अच्छी फिल्मे उभर कर आई जिसके कारण बॉलीबुड को एक बड़ा नाम मिला। 


90 के दशक में: 


 90 के दशक की शुरुआत हुई इस समय ने माधुरी दीक्षित, जूही चावला, अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी जैसे कलाकारों को बनाया तो इसी समय में बॉलीवुड के तीन बड़े स्टार उभर कर आए सन 1994 में रिलीज हुई (हम आपके हैं कौन) सन 1995 में रिलीज हुई (दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे) और 1996 में रिलीज हुई (राजा हिंदुस्तानी) इन 3 साल में रिलीज हुई तीनों फिल्मों ने बॉलीवुड के तीनों खानों को लाइट में ला दिया 1994 कि हम आपके हैं कौन में तो बॉलीवुड का तख्ता ही पलट दिया दरअसल 1994 तक लंबे समय से बॉलीवुड में एक्शन फिल्में बना करती थी लेकिन सलमान खान कि (हम आपके हैं कौन) ने  बॉलीवुड का मारामारी और एक्शन फिल्मों से अलग एक सामाजिक फिल्म का अनोखा रूप दर्शकों के सामने पेश किया और उसके बाद (हम साथ साथ हैं) और (कभी खुशी कभी गम) जैसी कई सामाजिक फिल्मों का निर्माण हुआ तो सन 1995 की (डीडीएलजे) से लव स्टोरी का युग शुरू हुआ। 


21 वि सदी के दशक में:

 

21 वि सदी की शुरुआत में ही बॉलीवुड में एक नए सुपर स्टार की एंट्री हुई राकेश रोशन की होमप्रोडक्शन (कहो ना प्यार है) ने रितिक रोशन को एक ही रात में सुपर हीरो बना दिया और उसके बाद तो बॉलीवुड कभी न रुकने वाली एक जलधारा के सामान आगे बढ़ता रहा। आज के दौर की अगर बात करें तो बॉलीवुड पहले से बहुत बदल गया है साथ ही यहां सिर्फ भारत के लेवल पर कि नहीं लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर की फिल्में भी रिलीज होती है आज इंडियन सिनेमा के हर प्रोडक्शन हाउस की फिल्में दुनिया के और कई देशों में दिखाई जाती है भारत और विदेशों में ऐतिहासिक मुद्रा कमाने वाली फिल्में दंगल और बाहुबली इसका श्रेस्ट उदाहरण है। भारतीय फिल्म जगत अब के समय में बहुत उचाईयो तक पहुंच गया अथवा नए नए कलाकार यहाँ आते रहते है। 

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