पूरे देश में एक साथ लागू किया जाएगा, जिससे देहरादून स्थित सेंटर पर सभी रिकाॅर्ड की जानकारी जमा होगी। दो से तीन साल में यह नेटवर्क वर्किंग में आ जाएगा और मोबाइल एप के माध्यम से इस जानकारी का उपयोग आम व्यक्ति भी कर सकेगा। एक समान जियो-पोजिशनिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए यह सिस्टम तैयार हो रहा है।
इतना सटीक कि एक मीटर से कम अंतर रहेगा
इस पूरे सिस्टम की सटीकता गूगल से भी अधिक बताई जा रही है। किसी गली, जगह की जानकारी में एक मीटर से भी कम अंतर रह जाएगा। इसमें हर जिले की एक-एक इंच की जमीन की जानकारी अपलोड होगी। इससे फसल सर्वे करना, राजस्व रिकाॅर्ड रखना, जमीन की नपती एक दम सटीक तरीके से रखना आसाना होगा।
बहुत सालो बाद यैसा प्रोजेक्ट तैयार हुआ:
साल 1767 में ब्रिटिश सर्वेयर जॉर्ज एवरेस्ट और उनके उत्तराधिकारी विलियम लैंबटन ने पहली बार वैज्ञानिक रूप से देश का नक्शा तैयार किया था। इसके बाद यह मैप बनाया जा रहा है।
सैटेलाइट से लिंक रहेगा:
सर्वे ऑफ इंडिया के इंजीनियर और इंदौर में सेटअप लगाने वाले राकेश यादव ने कहा एक सेटअप में डेढ़ करोड़ का खर्च आता है। सेटअप के बाद टेस्टिंग, चेकिंग होगी, इससे बारीक से बारीक जानकारी मिलेगी।
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