एमपी हाईकोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27% प्रतिशत आरक्षण आज 20 सितंबर को सुनवाई होगी। 1 सितंबर को चीफ जस्टिस पहले ही राज्य सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के स्थगन आदेश हटाने या अंतरिम आदेश देने की मांग को खारिज कर चुके हैं। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक कह चुके हैं कि ढाई साल से चल रहे इस मामले में अब अंतिम फैसला ही होगा। हाईकोर्ट इस मामले में सभी पक्षों की बात सुनने के बाद ही अंतिम फैसला सुनाएगी।
हाईकोर्ट ने अंतिम बहस के लिए मुख्य याचिकाकर्ता को बहस के लिए 45 मिनट और अन्य पक्ष को 15-15 मिनट का समय निर्धारित किया है। इससे पहले 1 सितंबर को राज्य सरकार की ओर से सभी स्टे ऑर्डर हटाने को लेकर लगाए गए अंतरिम आवेदन को हाईकोर्ट खारिज कर चुका है। इस प्रकरण में राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव पक्ष रख रहे हैं। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक की अध्यक्षता वाली डबल बेंच में मामले की सुनवाई जारी है।
सरकार की ओर से कहा किया गया एमपी में 50% से अधिक ओबीसी की आबादी है। इनके सामाजिक, आर्थिक और पिछड़ेपन को दूर करने के लिए 27% आरक्षण जरूरी है। ये भी हवाला दिया कि 1994 में इंदिरा साहनी केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने विशेष परिस्थितियों में 50% से अधिक आरक्षण देने का प्रावधान रखा है।
हाईकोर्ट में सरकार के 27% आरक्षण को चुनौती देने वाली छात्रा असिता दुबे सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी इस बहस का जवाब देते हुए कह चुके हैं कि 5 मई 2021 को मराठा रिजर्वेशन को भी सुप्रीम कोर्ट ने 50% से अधिक आरक्षण होने के आधार पर ही खारिज किया है। इसी तरह की परिस्थितियां एमपी में भी है। यही जजमेंट सुप्रीम कोर्ट ने 1994 में इंदिरा साहनी के मामले में भी दिया था।
19 मार्च 2019 को हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक:
हाईकोर्ट ने 19 मार्च 2019 को एमपी में 14% ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाए जाने पर रोक लगाई थी। इस मामले में ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से भी अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने अगली सुनवाई 20 सितंबर को नियत करते हुए बढ़े हुए आरक्षण पर रोक बरकरार रखी है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद ही अंतिम फैसला सुनाया जाएगा।
सरकार को दे चुके हैं अभिमत:
महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने भी पिछले दिनों सरकार को अभिमत देते हुए कोर्ट में चल रहे 6 प्रकरणों को छोड़कर अन्य सभी मामलों में 27% आरक्षण लागू करने के लिए स्वतंत्र बताया था। अन्य सभी नियुक्तियों, प्रवेश परीक्षाओं आदि में सरकार 27% आरक्षण लागू कर सकती है। हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई आखिरी दौर में पहुंच चुका है। अब बहस के दौरान सभी आवेदकों का पक्ष सुना जा रहा है।
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