देवतालाब मंदिर का रहस्य:
आज हम बात करेंगे दुनिया के सबसे अनोखे मंदिर देवतालाब के बारे में यह मंदिर रीवा जिले में देवतालाब नामक स्थान पर स्थित है देवतालाब एक ही पत्थर से बना हुआ एक विशाल मंदिर है, स्थानीय लोगो का मानना है की इस मंदिर का निर्माण रातों रात हुआ और देवतालाब मंदिर को स्वयम भगवान विश्वकर्मा जी ने बनाया था, भारत में कई विशाल मंदिर है जो अनोखे है, अथवा बहुत सी मंदिरो में यैसे एतिहासिक राज छुपे हुए है देवतालाब मंदिर के प्रति लोगो का मानना है की यह मंदिर का निर्माण रातो रात हुआ। देवतालाब मंदिर राष्ट्रीय धरोहरों में से एक है यहाँ आप आराम से पहुंच सकते है देवतालाब धाम के आस पास आपको बहुत सारे पर्यटक स्थल देखने को मिल जायेगे।
देवतालाब मंदिर का निर्माण:
देवतालाब मंदिर एक ऐसी अदभुत मंदिर है जिसका निर्माण रातो रात भगवान विश्वकर्मा जी ने किया था यह मंदिर एक पत्थर में बनी है इसलिए यह इतना सुन्दर अथवा एतिहासिक मंदिर दिखता है, लोगो का मानना है की पहले दिन यहाँ कुछ भी नहीं था लेकिन दूसरे दिन यहाँ बहुत बड़ा विशाल मंदिर बना हुआ था लेकिन किसी ने यह नहीं देखा की मंदिर का निर्माण कब और कैसे हुआ। पूर्वजो के बताये अनुसार मंदिर के अलावा मंदिर में अलौकिक शिवलिंक की भी उत्पत्ति हुई थी यह शिवलिंग बहुत रहस्यमई है यह भी बताया जाता है की यह शिवलिंग दिन में 4 बार रंग बदलता है। इसलिए यह मंदिर की मान्यता अथवा लोगो की आस्था इतनी है की लोग दूर दूर से यहाँ अपने मन्नते लेकर आते है।
ऐतिहासिक मंदिर:
इस ऐतिहासिक मंदिर के बारे में यैसी कहावत है की शिव के परम भक्त महाऋषि मार्कण्डेय देवतालाब में शिव के दरसन के लिए आराधना में लीन थे तब भगवान शिव ने महाऋषि को दरसन देने के लिए भगवान शिव विश्वकर्मा जी की मंदिर बनाने के लिए आदेश देते है इसी तरह रातो रात यहाँ विशाल मंदिर का निर्माण हुआ और स्थापना हुई साथ ही इस मंदिर के बारे में यह चौकाने वाली बात यह है की यह मंदिर एक ही पत्थर पर बना हुआ एक अदभुत मंदिर है और चौकाने वाली बात यह है की इस मंदिर के नीचे एक और मंदिर है जिसमे एक शिवलिंग है और एक चमत्कारी मड़ी मौजूद है लगातार साप बिछु अथवा कई तरह के जहरीले जीवो के तैखाने से निकलने से नीचे का दरवाजा बंद कर दिया गया।
अन्य रहस्य:
देवतालाब मंदिर में अन्य रहस्य इस प्रकार है, मंदिर के ठीक सामने एक कढ़ी हुआ करती थी जिसका राजा नास्तिक था कहा जाता है इस मंदिर को गिराने की योजना बनाई उसी वक़्त उसका पूरा राज वंस जमीन में दब कर नस्ट हो गया। इस मंदिर के अलावा रीवा रियासत के राजा ने 4 अन्य मंदिरो का निर्माण कराया है, कहा जाता है देवतालाब के शिव दरसन से चारो धाम की यात्रा पूरी होती है देवतालाब मंदिर से लोगो की आस्था जुड़ी हुई है यहाँ प्रतिवर्ष 3 मेले लगते है और इसी कारण परिमाह हजारो श्रद्धालु दरसन के लिए आते है देवतालाब नाम कुछ इस तरह से रखा गया देवो की नगरी अथवा यहाँ मंदिर के समीप कई तालाब स्थित है इसलिए इस जगह को देवतालाब नाम दिया गया है।
देवतालाब पहुंचे कैसे:
देवतालाब रीवा जिले में स्थित है यहाँ पहुंचने के लिए आपको रीवा शहर से आराम से बस सुविदा मिल जाएगी अथवा आप अपने निजी वाहन से भी पहुंच सकते है अगर आप दूर है तो रीवा शहर तक आप ट्रेन से भी पहुंच सकते है उसके बाद आप बस से जा सकते है रीवा शहर से देवतालाब मंदिर की दूरी लगभग 45 किलोमीटर है मंदिर के बगल में एक बड़ा से कुंड है जिसमे जल रहता है शिव को जल यही से चढ़ाया जाता। इस कुंड को शिव कुंड के नाम से जाना जाता है देवतालाब स्थान इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योकि यहाँ बहुत सारे तालाब स्थित है।
रीवा में अन्य ऐतिहासिक धरोहर:
रीवा में देवतालाब के साथ ही कई अन्य धरोहर शामिल है जैसे रीवा के किला के अंदर महामृत्युंजय भगवान का मंदिर यह मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है उसके बाद चिरहुला मंदिर हनुमान जी का यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है यहाँ मानना है की लोगो की हर मुराद पूरी होती है रीवा की धरोहर में रानी तालाब मंदिर बहुत महत्वपूर्ण है यहाँ एक तालाब है जिसका रास्ता रीवा के किले से हो कर निकलता है वहा एक सुरंग थी जिससे महारानी यहाँ स्नान करने आया करती थी तालाब के ठीक बीच में एक विशाल शिव मंदिर है तालाब में पानी होने के कारण नाव से जाना पड़ता है तालाब के एक तरफ काली माता का मंदिर है और दूसरी तरफ भैरो बाबा का मंदिर है रीवा जिले की यह जगहे महत्वपुर्ण प्राकृतिक धरोहरे मानी जाती है।
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