रीवा रियासत के इतिहास की जानकारी हिंदी में

  

History of Rewa

जानिए रीवा कभी किसी का गुलाम क्यों नहीं हुआ। काफी लोगो का मानना है, की जब पूरे भारत में मुगलों की हुकूमत थी तो रीवा कहा से उभर सकता था, और यही बात अंग्रेजो के हुकूमत को लेकर भी कहा जा रहा था, तो पहले बात कर लेते है मुगलो के शासन काल की अकबर और तानसेन का रीवा रियासत से गहरा नाता रहा है। मुग़ल सम्राट अकबर ने अपना बचपन रीवा रियासत के मुकुन्दपुर गांव में ही बिताया था। वही तानसेन रीवा रियासत के दरबार के शान थे। 


 आपको जानकर हैरानी होगी की पूरे देश में मुग़ल साम्राज्य का झण्डा फहराने वाले अकबर का बचपन रीवा शहर के मुकुन्दपुर गांव में बीता और इसका कारण यह है की उनके पिता हुमायुँ अज्ञात वास में थे अकबर को मुकुन्दपुर गांव में छिपाया गया था इस वजह से अकबर का बचपन बिना पढ़ाई लिखाई के गुजरा अब बात यह है। 


यह की रीवा शहर कभी किसी का गुलाम क्यों नहीं हुआ तो इससे मुग़ल सम्राट का संबंध यह है की जिस समय मुग़ल सम्राट अकबर पूरे देश भर में बादशाहत कर रहे थे तो उनकी नजर रीवा के अनमोल हीरे पर पड़ी थी जिसका नाम तानसेन था उनके स्वर में यैसा जादू था की लोग सुन कर मदहोस हो जाते थे उनके गायन से बुझे दीये भी जल उठते थे। अकबर की जगह कोई होता वह अपनी सभा के लिए तानसेन जैसे कलाकार को अपने राज्य के सोभा बढ़ाने के लिए रखता वही अकबर ने भी तानसेन को अपनी सभा को बढ़ाने के लिए रखा। 


रीवा रियासत ने इतिहास में कभी जंग नहीं:

वही रीवा रियासत ने इतिहास में कभी बड़ी जंग नहीं लड़ी और जब भी कभी यैसी स्थिति उत्पन्न होती थी तो किसी न किसी बात से या किसी व्यक्ति विशेष से समझौता कर लिया करते थे और इस बार भी यैसा ही हुआ था रीवा ने मुगलो को तानसेन दिया था और मुगलो ने बदले में 4 ख़तरनाक टोपे दी और उस समय रीवा ने मुगलो की बादशाहत स्वीकार ना करके रीवा उस समय भी आबाद रहा था और मुगलो का गुलाम नहीं हुआ असल में गुलाम उसे कहा जाता है जो खुद मेहनत करके दूसरो के भरोसे रह रहा हो या दूसरो का जुर्म सह रहा हो अथवा दूसरे के अधीन रह रहा हो लेकिन रीवा के साथ यैसा नहीं हुआ। रीवा की भगोलिक संरचना भी बहुत शानदार थी रीवा के चैत्र में ज्यादा जंगल है जहा सबसे पहले सफ़ेद बाघ पाए गए थे। 


यह बात आप जानते ही होंगे की अंग्रेज भारत इसलिए आये थे की वह इसे लूट सके और यहाँ मजदूरों से जबर्जस्ती काम करवा कर व्यवसाय कर सके लेकिन प्राकृतिक संरचना के कारण भी रीवा बचा रहा और उस समय के राजाओ ने अपनी प्रजा को हर खतरे से बचने के लिए तलवार, सुरंग और गुफाओ का प्रयोग किया करते थे जो आज भी यह चीजे रीवा रियासत में मौजूद है, यह प्रमुख कारण थे की रीवा कभी किसी का गुलाम नहीं हुआ। 


रीवा की एतिहासिक सुंदरता आज भी मौजूद है लेकिन यह अब पर्यटक स्थल में बदल चुके है मध्य प्रदेश का रीवा ब्रिटिश काल के दौरान बहुत बड़ी रियासत हुआ करता  और राज्य के प्रमुख शहरो में गिना जाता है रीवा शहर एक बहुत प्राचीन विरासत के रूप में भी गिना जाता है वही कुछ प्राचीन विरासत के नाम  कुछ इस प्रकार है। 


रानी तालाब मंदिर रीवा:

रानी तालाब बहुत प्राचीन सभ्यता में एक है यहाँ पहले कुंड हुआ करता था जिसका रास्ता रीवा के किले से होकर निकलता था जहा रानी उस सुरंग से तालाब में नहाने जाया करती थी यहाँ निकट में प्रसिद्ध काली मंदिर भी है जहा काली माता के दरसन के लिए लोग आया करते थे। 


गोविन्दगढ़ का किला:


 रीवा के पास में ही गोविन्दगढ़ का किला है जहा राजा शिकार पर जाया करते थे कहा जाता है इस महल का निर्माण 1881 में किया गया था पहले इसकी सुंदरता बहुत अच्छी थी लेकिन अब यह महल जर्जर हो चुका है गोविन्दगढ़ किले के पास ही बहुत बड़ी झील अथवा इसको गोविन्दगढ़ का तालाब भी कहते है जो बहुत बड़ा और विशाल है और तालाब के तट पर ही गोविन्दगढ़ का किला स्थापित है यह जगह बहुत प्राकृतिक है माना जाता है की यहाँ के जंगलो में भारत का सबसे पहला सफ़ेद बाघ पाया गया था। 


रीवा का किला:

यह किला बहुत प्राचीन है जो रीवा के किले के ही नाम से जाना जाता है रीवा का किला मध्य प्रदेश राज्य के अच्छे किलो में नाम आता है यह किला हमारे बेहतरीन किलो में गिना जाता है और यह सांस्कृतिक परम्पराओ का प्रतीक है यहाँ पर मुगलो के द्वारा दी गई तोपे भी मौजूद है यह किला काफी प्राचीन सभ्यता में से एक है इसके पास रानी तालाब, लक्छमण बाग़, गोविन्दगढ़, मुकुन्दपुर यह सबसे पास के स्थान है जो सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। 


रीवा शहर के जलप्रपात:

पुरवा जलप्रपात: 

यह जलप्रपात बहुत ही खूबसूरत है जो रीवा शहर में है यह रीवा से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है अथवा यह बहुत सुन्दर है इसकी ख़ूबसूरती देखने के लिए लोग दूर दूर से अथवा पिकनिक मानाने जाते है। 


चचाई जलप्रपात:

यह जलप्रपात बहुत गहरा और डरावना है यहाँ बीहर नदी झरना बनाती है अथवा यहाँ बहुत सैलानी घूमने आते आते है पास में ही टोंस जल बिद्दुत परियोजना है जहा बिजली बनती है। 


क्योटी जलप्रपात:

यह शहर से 45 किलोमीटर की दूरी पर है यह बहुत सुन्दर जलप्रपात है साथ में ही इसका किला भी आपको देखने को मिल जायेगा यहाँ लोग दूर दूर से घूमने अथवा इसकी सुंदरता देखने आते है। 


बहुती जलप्रपात:

यह शहर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर है अथवा यह रीवा शहर का सबसे बड़ा और गहरा जलप्रपात है यह बहुत ही खतरनाक है यहाँ सैलानी दूर दूर से घूमने अथवा झरने के लुफ्त उठाने आते है यहाँ आप नीचे भी जा सकते है सैलानियों के लिए पत्थरो के बीच छोटी सी रास्ता बनी हुई है। 


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